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परिचय

हरियाणा अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम लिमिटेड 02.01.1971 को कंपनी अधिनियम, 1956 के तहत पंजीकृत एक कंपनी है। यह पूर्णतः सरकारी स्वामित्व वाला निगम है, जिसमें राज्य सरकार की 51% हिस्सेदारी तथा भारत सरकार की 49% हिस्सेदारी है। हरियाणा अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम लिमिटेड को मूलतः 02.01.1971 को 2.00 करोड़ रुपये की अधिकृत शेयर पूंजी के साथ निगमित किया गया था, जिसे बाद में 04.09.2012 को बढ़ाकर 80.00 करोड़ रुपये कर दिया गया।


उद्देश्य

हरियाणा अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम का मुख्य उद्देश्य राज्य में अनुसूचित जाति के परिवारों का सामाजिक व आर्थिक स्तर ऊंचा उठाना है ।


योजनाएँ

वर्तमान में निगम तीन प्रकार की योजनाओं को कार्यान्वित कर रहा है:-

  1. स्वरोजगार हेतु बैंको के सहयोग से चलने वाली योजनाएँ (केवल अनुसूचित जाति के परिवारों के लिए) ।
  2. स्वरोजगार हेतु एनएसएफडीसी सहायता प्राप्त योजनाएँ (केवल अनुसूचित जाति के परिवारों के लिए)
  3. स्वरोजगार हेतु एनएसकेएफडीसी सहायता प्राप्त योजनाएँ (केवल सफाई कर्मचारियों और उनके आश्रितों के लिए)

दिशानिर्देशों के अनुसार, निगम केवल उन चिन्हित अनुसूचित जाति के परिवारों को ऋण/लाभ प्रदान करता है, जिनकी सत्यापित वार्षिक पारिवारिक आय (पीपीपी में) ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में 3,00,000/- रुपये से अधिक नहीं है। उनको  विभिन्न बैंको के सहयोग से आय सृजन योजनाएं जैसे: डेयरी फार्मिंग, भेड़पालन, पशु चालित गाड़ी, किरयाना दुकान, चमड़े का सामान बनाना, ब्यूटी पार्लर, टेंट हाउस, चूड़ी की दुकान, चाय की दुकान, वेल्डिंग की दुकान और  बैंड पार्टी आदि में ऋण प्रदान करता है। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम (एनएसएफडीसी) सहायता प्राप्त योजनाओं के मामले में, आय सीमा कम से कम 50% लाभार्थियों की वार्षिक पारिवारिक आय 1.50 लाख रुपये तक हो और शेष 50% लाभार्थियों की वार्षिक पारिवारिक आय 1.50 लाख रुपये से 3.00 लाख रुपये तक हो। एनएसकेएफडीसी योजनाओं के तहत कोई आय सीमा नहीं है, केवल व्यवसाय ही पात्रता का मानदंड है।